आप ने भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती | यह सुना ही होगा यह मारुति स्त्रोत की मराठी रचना है। आज इसी की संस्कृत यानि (Maruti Strotram Sanskrit) मारुति स्त्रोत्र संस्कृत भाषा मे देखेंगे।
मारुति स्त्रोत पढ़ने से आप के जीवन की कठिनाई दूर हो कर शारीरिक पीड़ा से छुटकारा मिलता है। साथ ही इसमे हनुमान जी की स्तुति लिखी है तो आप की मानो कामना भी पूरी हो जाती है।
मराठी ग्रंथों मे कई बार इनका जिक्र है मैं समर्थ रामदास स्वामी जी की बात कर रही हु वह छत्रपती शिवाजी महाराज के गुरु भी कहलाते है। श्री समर्थ रामदास स्वामी जी ने खुद 17 वी सदी मे भगवान हनुमान जी का मारुति स्त्रोत की रचना की। जिसमे कुल 13 चौपाई और 4 फलश्रुती है। फलश्रुती को आप सार के रूप मे देख सकते है जिसके एक मात्र पाठ से आप को पूरे स्त्रोत्र का लाभ मिल जाता है।
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मारुती स्तोत्र संस्कृत – Maruti Strotram Lyrics
श्री मारुतिस्तोत्रम्
॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे
श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु
ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥